Monday 16 April 2012

जीवन

एक पहेली जैसा जीवन
खुला व्योम लगता है जीवन

नील गगन सा लगता जीवन
चाहत ...जैसे इन्द्रधनुष
कुछ ही पल में लुप्तप्राय
छल देता रंगीन स्वप्न

चाहत एक अनोखा बादल
हर पल अपना रुप बदलता
क्षण भर मेँ लगता कुछ और
छल देता रंगीन स्वप्न

कौन रचयिता किसकी रचना
इस जीवन की यही विडम्बना
समय पृष्ठ पर होता अंकित
अवसाद भरा रंगीन स्वप्न

शीतल जल सा लगता प्रियकर
लेकिन छलक रहा है हर क्षण
जीवन का प्याला हाथोँ में
छलक रहा रँगीन स्वप्न

श्वेत चमकता मोती जैसा
वक्ष चीर सागर से निकला
विश्राम नहीँ उसकी नियति मेँ
बिखर रहा रंगीन स्वप्न

चिन्तन की धारा है अनुपम
मन की डोर अनन्त व्योम
जीवन में कटती है जब
छिन्न भिन्न रंगीन स्वप्न

मन की व्याकुल गति निराली
कहीं तीव्र तो कहीं क्षीण
क्षीण अगर है तो मृत्यु बन
चिर निद्रा रंगीन स्वप्न

एक पहेली जैसा जीवन
खुला व्योम लगता है जीवन