** मुक्तक **
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धरा हमारी स्वच्छ हो, सबका हो उत्कर्ष।
इसी दिशा में मिल सभी, करें विचार विमर्श।
जीवन शैली श्रेष्ठ हो, रहें स्वस्थ सब लोग।
और सभी का हित लिए, हर प्राणी में हर्ष।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २७/११/२०२३
** मुक्तक **
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धरा हमारी स्वच्छ हो, सबका हो उत्कर्ष।
इसी दिशा में मिल सभी, करें विचार विमर्श।
जीवन शैली श्रेष्ठ हो, रहें स्वस्थ सब लोग।
और सभी का हित लिए, हर प्राणी में हर्ष।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २७/११/२०२३
‘यह जीवन है' (मुक्तक)
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पास कौन हो रहा है, हो रहा है कौन फेल।
है अबूझ देखिए तो, जिन्दगी का घालमेल।
आईना दिखा रहा है, सामने सभी के सत्य।
किन्तु भा रहा सभी को, स्वार्थ साधने का खेल।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०९/०३/२०२३