Wednesday 24 April 2024

* आ जाओ *

 ** कुण्डलिया ** 

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आ जाओ अब पास में, क्यों रहते हो दूर। 

लेकर बातें व्यर्थ की, क्यों रहते हो चूर। 

क्यों रहते हो चूर, जिन्दगी जीकर देखो। 

और स्नेह रस नित्य, हर्ष से पीकर देखो। 

कहते वैद्य सुरेन्द्र, दूरियां सभी मिटाओ। 

कल की बीती भूल, निकट जल्दी आ जाओ। 

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आओ देखें छोड़कर, नफरत ईर्ष्या द्वेष। 

और सभी से स्नेह का, कार्य करें शुभ शेष। 

कार्य करें शुभ शेष, जिन्दगी सफल बनाएं। 

और प्रगति की राह, निरंतर बढ़ते जाएं। 

कहते वैद्य सुरेन्द्र, साथ मिल कदम बढ़ाओ। 

हर दुविधा को छोड़, साथ मिल देखें आओ। 

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नफ़रत ईर्ष्या से सदा, रखें स्वयं को दूर। 

और द्वेष के कार्य में, मत हो जाना चूर।

मत हो जाना चूर, सभी को दोस्त बनाएं। 

और समय पर खूब, काम भी सबके आएं। 

कहते वैद्य सुरेन्द्र, करें हम सब का स्वागत। 

रखें हृदय को स्वच्छ, कभी न पालें नफ़रत। 

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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २४/०४/२०२४ 

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