Wednesday 28 March 2012

दो शब्द

मन मेँ विचारोँ का उठना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । दैनिक जीवनचर्या तथा अन्य घटनाक्रम मन को उद्वेलित करते रहते हैं । प्रतिक्रिया के रूप मेँ ये हमारे व्यवहार तथा बातचीत पर गहरा प्रभाव डालते हैं । सामाजिक प्राणी होने के नाते हम अपने परिवेश तथा इसके घटनाक्रमोँ की अनदेखी नहीँ कर सकते । एक सीमा तक सभी अपने अपने ढंग से उनका विश्लेषण करते हैँ । कुछ उदासीन तथा तटस्थ भी रहते हैँ । भिन्न-भिन्न क्षेत्रोँ मेँ कार्यरत व्यक्तियोँ की कार्यशैली भी इससे प्रभावित होती है । विशेषकर कला तथा साहित्य के क्षेत्रोँ मेँ जहाँ कल्पनाशीलता की प्रभावी भूमिका होती है । एक कवि के लिए अपने आसपास की सामान्य गतिविधियां भी विशेष हो सकती है जो अन्योँ के लिये कोई सरोकार नहीँ रखती । चीजोँ को हटकर देखने से ही कविता का जन्म होता है । संवेदनाएँ तथा अनुभूतियाँ उनमेँ लयात्मकता का भाव उत्पन्न करती हैँ ।
.....कविता लिखना कब से शुरु हुआ , ठीक ठीक याद नहीँ ! अन्य मंचोँ व पत्रोँ के साथ अब इस ब्लाग के माध्यम से भी अपनी कविताओँ को आपके समक्ष रखने का मेरा प्रयास रहेगा ।
कृपया अपने सुझाव व टिप्पणियाँ प्रेषित करते रहेँ ।

2 comments:

  1. बहुत दिनों से कोई पोस्ट नहीं आई लिखते रहिए ....आभार !

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  2. nc blog sr / wrd verification remove kijiye sr / plz

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