Monday 16 April 2012

जीवन

एक पहेली जैसा जीवन
खुला व्योम लगता है जीवन

नील गगन सा लगता जीवन
चाहत ...जैसे इन्द्रधनुष
कुछ ही पल में लुप्तप्राय
छल देता रंगीन स्वप्न

चाहत एक अनोखा बादल
हर पल अपना रुप बदलता
क्षण भर मेँ लगता कुछ और
छल देता रंगीन स्वप्न

कौन रचयिता किसकी रचना
इस जीवन की यही विडम्बना
समय पृष्ठ पर होता अंकित
अवसाद भरा रंगीन स्वप्न

शीतल जल सा लगता प्रियकर
लेकिन छलक रहा है हर क्षण
जीवन का प्याला हाथोँ में
छलक रहा रँगीन स्वप्न

श्वेत चमकता मोती जैसा
वक्ष चीर सागर से निकला
विश्राम नहीँ उसकी नियति मेँ
बिखर रहा रंगीन स्वप्न

चिन्तन की धारा है अनुपम
मन की डोर अनन्त व्योम
जीवन में कटती है जब
छिन्न भिन्न रंगीन स्वप्न

मन की व्याकुल गति निराली
कहीं तीव्र तो कहीं क्षीण
क्षीण अगर है तो मृत्यु बन
चिर निद्रा रंगीन स्वप्न

एक पहेली जैसा जीवन
खुला व्योम लगता है जीवन

28 comments:

  1. कौन रचयिता किसकी रचना
    इस जीवन की यही विडम्बना
    समय पृष्ठ पर होता अंकित
    अवसाद भरा रंगीन स्वप्न ...

    विडम्बना है... मन चाहता तो बहुत कुछ है, लेकिन होता अक्सर विपरीत है... स्वीकार करना पड़ता है.... कर्मों में लगे रहना है सतत...

    .

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  2. सचमुच....अनगढ़ पहेली सा ही तो है ये जीवन.....

    सुंदर रचना.

    अनु

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  3. एक पहेली जैसा जीवन
    खुला व्योम लगता है जीवन
    वाह...बहुत सुन्दर रचना ...!!
    आभार आपका ....स्वरोज सुर मंदिर पर आपने अपने विचार दिए ...!!

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  4. नील गगन सा लगता जीवन
    चाहत ...जैसे इन्द्रधनुष
    कुछ ही पल में लुप्तप्राय
    छल देता रंगीन स्वप्न
    जीवन बस रहता है जीवन ,छलता ठगता मुक्त भाव से ,रोता गाता हंसता जीवन बढ़िया बिम्ब समेटे है आपकी रचना इस दार्शनिक विषय पर जो तदानुभूति कराता है .शुक्रिया आपकी ब्लॉग उपस्थिति के लिए .

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  5. चिन्तन की धारा है अनुपम
    मन की डोर अनन्त व्योम
    जीवन में कटती है जब
    छिन्न भिन्न रंगीन स्वप्न,,,,

    मन के भावों की सुंदर प्रस्तुति,,,,sunder rchnaa

    MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...

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  6. शीतल जल सा लगता प्रियकर
    लेकिन छलक रहा है हर क्षण
    जीवन का प्याला हाथोँ में
    छलक रहा रँगीन स्वप्न

    चिन्तन की धारा है अनुपम
    मन की डोर अनन्त व्योम
    जीवन में कटती है जब
    छिन्न भिन्न रंगीन स्वप्न
    प्रिय सुरेन्द्र वैद्य जी बहुत सुन्दर प्यारी रचना ..जीवन एक अबूझ पहेली ही तो है और ये सपने न जाने क्या क्या रंग रूप धारण कर लें कभी पूनम तो कभी स्याह रात छिन्न भिन्न सब ...
    हमारे ब्लॉग भ्रमर का दर्द और दर्पण में आने के लिए आभार ...अच्छा लगे तो फालो (अनुसरण ) भी करें जुड़ने से आसानी होती है
    भ्रमर ५

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  7. बहुत खूबसूरत शब्द रचना

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  8. sundar srijan , badhai.
    your most welcome on my blog.

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  9. एक पहेली जैसा जीवन
    खुला व्योम लगता है जीवन..
    bilkul sahi kaha ....sundar rachna aabhar ...

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  10. एक पहेली जैसा जीवन
    खुला व्योम लगता है जीवन
    उत्कृष्ट रचना है भाई साहब आपकी बेहतरीन बिम्ब और व्यंजना ,रूपक सभी एक ही जगह ,कृपया यहाँ भी पधारें ,

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  11. बहुत खूब रचना है आपकी याद आ गया वह गीत जिन्दगी कैसी ये पहेली हाय ,कभी ये हंसाये ,कभी ये रुलाये ..आपकी टिपण्णी बहुत सार्थक और समीचीन रही दिक्कत यह है बहुसंख्यक हमेशा बिखरे रहतें हैं अल्पसंख्यक भेड़ों की तरह इकठ्ठे हो जातें हैं हो हो करके .

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  12. चाहत एक अनोखा बादल
    हर पल अपना रुप बदलता
    क्षण भर मेँ लगता कुछ और
    छल देता रंगीन स्वप्न

    ...बहुत खूब! बहुत ख़ूबसूरत गीत...

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  13. उत्तम काव्य रचना देने के लिए आपका आभार !!लेकिन आपने टिप्पणियों के लिए जो शब्द वेरिफिकेशन लागू कर रखा है उससे टिप्पणी देने में असुविधा होती है !!

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  14. बहुत सुंदर गीत

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  15. बहुत ख़ूबसूरत गीत...

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  16. सरल और रुचिकर ...
    आभार आपका !

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  17. चिन्तन की धारा है अनुपम
    मन की डोर अनन्त व्योम
    जीवन में कटती है जब
    छिन्न भिन्न रंगीन स्वप्न
    vicharniy v sundar prastuti.

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  18. कौन रचयिता किसकी रचना
    इस जीवन की यही विडम्बना
    समय पृष्ठ पर होता अंकित
    अवसाद भरा रंगीन स्वप्न

    ...बहुत गहन और भावमयी प्रस्तुति...अद्भुत भावों का प्रवाह...बहुत सुन्दर

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  19. आदरणीय वैद्य जी जय श्री राधे ...इस अप्रैल की सुन्दर रचना के बाद रचना पढने को नहीं मिली कृपया कुछ रचिए
    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

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  20. चाहत एक अनोखा बादल
    हर पल अपना रुप बदलता
    क्षण भर मेँ लगता कुछ और
    छल देता रंगीन स्वप्न

    अद्भुत प्रवाह ...बहुत अच्छी रचना

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    Replies
    1. behad sundar geet .........aapke blog par aakar bahut prasannata hui .kripaya varification hata de to aasani se comments likh saken

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  21. बहुत सुन्दर.. जीवन की पहेली सुलझाते सुलझाते हुए कविता में उलझ गए .. सुन्दर कविता

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  22. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ,,,,,

    सुरेन्द्र पाल जी,,,,आप मेरे फालोवर बने तो मुझे हार्दिक खुशी होगी,,,,,और एक दूसरे के पोस्टों पर आना जाना बना रहेगा,,,,,

    RECENT POST:..........सागर

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  23. एक पहेली जैसा जीवन
    खुला व्योम लगता है जीवन

    ...बहुत गहन और उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...

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  24. सुंदर रचना...
    काफी समय से कोई पोस्ट नहीं की गई है आपके ब्लॉग पर।।।

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  25. चाहत एक अनोखा बादल
    हर पल अपना रुप बदलता
    क्षण भर मेँ लगता कुछ और
    छल देता रंगीन स्वप्न

    बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना.....

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  26. बहुत उम्दा...बहुत बहुत बधाई...

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